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AASMAAN SE OONCHI UDAAN-Dr. A.P.J. Abdul Kalam

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‘यह आपके जीवन का सबसे अच्छा समय है, जब आप पंखों को फैलाना और उड़ना सीख रहे हैं।’ भारत के पूर्व राष्ट्रपति भारतरत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को युवा शक्ति पर अगाध विश्वास था। वह भारत और भारत से बाहर 2.1 करोड़ से भी अधिक बच्चों और युवाओं से मिले तथा उनसे ज्ञान की शक्ति, आकांक्षा, नैतिक व्यवहार एवं समाज में परिवर्तन लाने की आवश्यकता पर बात की। उन्होंने देशभर के स्कूलों, विश्वविद्यालयों और संस्थानों में युवाओं से मुलाकात की और एक संकल्पित शिक्षक के रूप में उनसे बातचीत की।
‘आसमान से ऊँची उड़ान’ में उनके लगभग दो हजार में से चुनिंदा व्याख्यान संकलित किए गए हैं। ये व्याख्यान स्कूलों के शिक्षकों और छात्रों के अलावा अन्य वर्गों के बीच दिए गए थे। उनमें से प्रत्येक में उन्होंने अपने आप को जीवन के लिए सबसे अच्छी तरह तैयार करने, चुनौतियों को जानने और उनका मुकाबला कर आगे बढ़ने तथा प्रत्येक व्यक्ति के सर्वोत्तम प्रदर्शन को सामने लाने पर बात की है। अपने और अपने शिक्षकों एवं गुरुओं के साथ ही संसार के कुछ महानतम स्त्री-पुरुषों के जीवन की घटनाओं तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नई-नई खोज की चर्चा कर वे हमें उन सपनों और कठिन परिश्रम का महत्त्व बताते हैं, जिनसे उन सपनों को हकीकत में बदला जा सकता है।
प्रेरणा और सकारात्मक दृष्टिकोण से समृद्, जीवन के मुक्त आकाश में ऊँची उड़ान भरने की प्रेरणा देती हर भारतीय के लिए एक अनिवार्य पुस्तक।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (15.10.1931-27.7.2015) भारत के यशस्वी वैज्ञानिकों में से एक तथा उपग्रह प्रक्षेपण यान और रणनीतिक मिसाइलों के स्वदेशी विकास के वास्तुकार थे। एस.एल.वी.-3, ‘अग्नि’ और ‘पृथ्वी’ उनकी नेतृत्व-क्षमता के प्रमाण हैं। उनके अथक प्रयासों से भारत रक्षा तथा वायु-आकाश प्रणालियों में आत्मनिर्भर बना। अन्ना विश्वविद्यालय में प्रौद्योगिकी तथा सामाजिक रूपांतरण के प्रोफेसर के रूप में उन्होंने विद्यार्थियों से विचारों का आदान-प्रदान किया और उन्हें एक विकसित भारत का स्वप्न दिया। अनेक पुरस्कार-सम्मानों के साथ उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत-रत्न’ से भी सम्मानित किया गया। विज्ञान-प्रसार में योगदान के लिए उन्हें प्रतिष्ठित ‘किंग चार्ल्स-II मेडल से सम्मानित किया गया। भारत के राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान देश भर के आठ लाख से अधिक छात्रों से भेंट कर उन्होंने महाशक्ति भारत के स्वप्न को रचनात्मक कार्यों द्वारा साकार करने का आह्वान किया।

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