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Rajpal Lokokti Kosh-Sharma Harivansh Rai

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Product Description

लोकोक्तियाँ किसी समाज के अनुभव तथा उससे उपलब्ध ज्ञान का निचोड़ होती हैं। वे प्राचीनतम पुस्तकों से भी प्राचीन तथा वैविध्यपूर्ण होती है। समाज के सभी वर्गों के व्यक्ति उनसे हर समय लाभ उठा सकते है। लोकोक्तियों के प्रयोग से भाषा का सौंदर्य और सार्थकता का जाती है। अनेक वर्षों के परिश्रम से तैयार किया गया प्रस्तुत संकलन हिन्दी-भाषा प्रदेश का समग्र प्रतिनिधित्व तो करता ही है, इसमें संस्कृत और उर्दू तथा पारसी से भी चुन-चुनकर लोकोक्तियां ली गई है। साथ में उनके अर्थ दिये गये हैं और श्रेष्ठ लेखकों की कृतियों से उदाहरण प्रस्तुत किये गये है। प्रसिद्ध कवि तुलसी, सूर, वृन्द, रहीम और नरोत्तमदास जैसे सुकवियों की जनप्रिय उक्तियां भी संकलन में हैं- जो इसका एक मुख्य आकर्षण है। इस प्रकार एक ही स्थान पर उपलब्ध यह संचित ज्ञान सभी प्रकार के पाठकों के लिए लाभदायक है।

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